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00:00:00 [संगीत] देख को सने वा स [संगीत] आज से 4200 साल पहले मेसोपोटामिया के पास दो नदियों के बीच में र साम्राज्य का शासन था र तृतीय वहां का राजा था और उसके शासन काल में एक बच्चे ने जन्म लिया उस बच्चे की महत्वाकांक्षा बहुत अधिक थी और राजा र का साम्राज्य बहुत बड़ा नहीं था उस बच्चे ने प्राचीन विद्याओं के विशेषज्ञों से संपर्क किया क्योंकि उसकी किस्मत में कुछ कुछ और लिखा था अपने प्रारब्ध में लिखे हुए राज्य सत्ता को प्राप्त करने के लिए उसने विद्रोह किया असफल रहा क्योंकि उसके पास बड़ी छोटी सी सेना थी 1000 लोगों की
00:01:42 ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि यह बच्चा आगे चलकर इस राज्य का राजा बनेगा तो राजा ऊर के अत्याचारों से जो लोग परेशान थे आतंकित थे उन लोगों ने उस बच्चे का साथ दिया लेकिन लोगों की संख्या कम थी हजार लोग राजा के सामने कुछ भी नहीं थे राजा ने विद्रोह को दबा दिया बच्चे को मरवाने के फरमान जारी कर दिए गए लेकिन बच्चा भाग निकला बच्चा भागकर सीरिया की ओर बढ़ा रेगिस्तान की ओर बढ़ा और वहां पर उसे कुछ ऐसा मिला जिसकी उसने कभी कल्पना नहीं की थी एक कौंसिल एक संगठन जिसमें 15 लोग थे यह 15 लोग एक ऐसे व्यक्ति की खोज में थे जो उनका नेतृत्व कर
00:02:31 सके इन 15 लोगों के पास अलग-अलग शक्तियां थी अलग-अलग सामर्थ्य थे अलग-अलग प्रकार की इच्छाएं थी और यह आपस में एकजुट नहीं हो पाते थे इन्हें आवश्यकता थी एक ऐसे नेता की जो इन सबों को एक सूत्र में बांध सके इनकी शक्तियों का एकत्रीकरण करके अपने उद्देश्य के लिए प्रयोग कर सके उन 15 लोगों ने इसको अपना नेता चुना अपने शक्तियों का एक बड़ा भाग इसके विकास में लगाया और इन 16 लोगों ने मिल एक शक्ति को उत्पन्न किया यह जो बच्चा है इसके विषय में आप जानते हैं इसका नाम है अरीमान आर्द्रम लक्ष जिसे हम कहते हैं लक्षराज 16 लोगों की यह
00:03:18 सभा मक्ष राज के नेतृत्व में उसके 15 पार्षदों के साथ बनी इस सभा ने अपने शरीर से अपनी शक्ति का एक एक अंश निकालकर उसको सम्मिलित किया और एक शैतान को बनाया उस शैतान का नाम था अनाम लक्ष वस्तुत अनाम लक्ष ही बस शक्ति है जिसकी आराधना मक्ष राज करता है अनाम लक्ष और आर्द मक्ष यह दोनों साथ साथ चलते हैं जैसे दिव्य संपदा में अश्विनी कुमार एक जैसे दिखते हैं एक साथ चलते हैं जैसे दिव्य संपदा में अश्विनी कुमार युगल है वैसे ही संपदा में आर्द्र मुले और अनाम मुले दोनों साथ साथ चलते हैं दोनों युगल हैं दोनों संयुक्त हैं आर्द मक्ष को मक्ष
00:04:10 राज को जो शक्तियां मिलती हैं वो वस्तुतः अनाम मक्ष से ही उसे प्राप्त होती है अनाम मक्ष का नाम अनाम इसीलिए है क्योंकि इसकी प्रसिद्धि अधिक नहीं हुई क्योंकि इसने अपने दूसरे रूप से सारे कार्यों को किया है यह कभी सामने आया नहीं कभी इसने सीधा हस्तक्षेप नहीं किया ये वो राजा है जो अभी तक अपने चेहरे को सार्वजनिक नहीं करना चाहता यह समस्त कार्यों को करने के लिए आर्द्र मक्ष का आश्रय लेता है तो वस्तुत मक्ष राज मतलब जो आर्द मक्ष है वो राजा तो अवश्य है लेकिन वो राजा स्वतंत्र नहीं है उस राजा की इच्छाएं स्वतंत्र नहीं है उस
00:04:45 राजा को अगर कुछ करना है तो उसको अनाम लक्ष से सहमति और अनुमति लेनी पड़ेगी एक तरीके से कहे एक ही शरीर में रहने वाली ये दो शक्तियां है आर्द मक्ष का शरीर और उसके अंदर जो नियंत्रण है वह अनाम लक्ष का है अनाम लक्ष का स्वरूप जैसा मुझे समझ में आया है जैसा अपने शोध और साधना से हमने ज्ञात किया है उस स्वरूप के आधार पर हमने एआई से कुछ चित्र बनाए हैं जो कि इस वीडियो में इस श्रृंखला के इस एपिसोड में आपको समय-समय पर दिखाए जाते रहेंगे एक क्रूर स्वरूप एक शैतान का जिसका जो मुख है वह गधे का है जिसके पैर कभी मनुष्य और कभी घोड़े के समान होते हैं
00:05:29 जिसके पं मोर के समान है जिसकी आंखें बहुत क्रूर हैं जिसके दांत बड़े नुकीले हैं ऐसा ही स्वरूप है अनाम लक्ष का और य अनाम मक्ष ही वह शक्ति केंद्र है वह शक्ति पुंज है जहां से मक्ष राज आर्द मक्ष जहां से अपनी शक्तियों को प्राप्त करता है जहां से उन शक्तियों का प्रयोग करता है हम बात कर रहे थे र साम्राज्य के पतन की जब आज से 4200 साल पहले र साम्राज्य का पतन हुआ उस समय अंतिम राजा था इबी सन इ सन के चारों के कारण जब विद्रोह हुआ उस समय पहली बार तो विद्रोह कुचल दिया गया लेकिन दूसरी बार अपनी शैतानी शक्तियों के साथ आर्द्रम लक्ष
00:06:08 के नेतृत्व में जब विद्रोह किया तो इब सन हार गया और वहीं पर असुर साम्राज्य की नीव पड़ी असुर साम्राज्य की नीव जब पड़ी उसका नाम पड़ा गया असीरिया असीरिया और सीरिया दोनों अलग-अलग हैं लेकिन नाम का जो स्रोत है वो समान है ईसा पूर्व 26 25 शताब्दी तक विश्व का दूसरा बड़ा साम्राज्य था र साम्राज्य भारतीय सत्ता के संयुक्त प्रभाव के अतिरिक्त अगर विश्व में किसी की बात मानी जाती थी वह था र साम्राज्य र साम्राज्य के नेतृत्व में एक छोटा सा शहर एक विशाल साम्राज्य बनता जा रहा था और बीच में ही सत्ता का परिवर्तन हो गया और आर्द मिले ने सत्ता संभाली
00:07:00 साम्राज्य के पहले राजा का नाम असुर था इस असुर को संस्कृत वाला असुर भी समझ सकते हैं आसुरी संपदा का होने के कारण अथवा इसको ए एस एस यू आर असुर ऐसा भी समझ सकते हैं असुर नाम के कई राजा इसमें हुए हैं और सुमेरियन भाषा में इसका अर्थ होता है राजा सुमेरियन भाषा में असुर का अर्थ होता है राजा और यह र असुर जो था असुर साम्राज्य का पहला राजा था लक्षराज अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से उनको राजा बनाकर इस क्षेत्र का शासन करता था और लक्षराज के द्वारा प्राप्त आसुरी शक्तियों का प्रयोग करके असुर साम्राज्य के राजा अपनी सेना का विकास करते रहे आगे
00:07:51 बढ़ते रहे यद्यपि इनकी सेना बहुत बड़ी नहीं थी किंतु इनकी योजना और इनका अनुशासन बहुत स्पष्ट होता था और इनके अनुशासन को भंग करने पर बहुत कठोर दंड दिया जाता था हम आगे की श्रृंखलाओं में इनकी सेना की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे और यह भी चर्चा करेंगे कि मक्ष राज के द्वारा बनाए गए अनुशासन कौन-कौन से हैं लक्षराज ने अपने अनुयायियों के लिए 60 अनुशासन बनाए हैं जो भी व्यक्ति लक्षराज का अनुयायी बनेगा उसको इन 60 अनुशासन का पालन करना पड़ेगा अगर वह ऐसा नहीं करता है वह कठोरतम दंड का पात्र होता है मैंने कल बताया था शैतान के बहुत
00:08:27 से नामों में एक नाम है स्तर की आराधना करता हुआ यह असुर साम्राज्य आगे बढ़ता रहा जब यह असुर साम्राज्य मक्ष राज की पूजा करता था और मक्ष राज के शरीर में घुसे हुए अनाम मक्ष की पूजा करता था तो उस समय उसका नाम होता था स्तर और उसके चारों ओर चार वेदिया बनती थी उन चारों वेदियो पर नरबली दी जाती थी नरबली के माध्यम से मनुष्य के बच्चे के खून के माध्यम से अच्छा ये नरबली जो है वो कोई सामान्य व्यक्ति की नहीं दी जाती थी छोटे-छोटे बच्चों की नरबली दी जाती थी और उन नरबलि हों के माध्यम से राजा हैं अपनी शक्तियों को प्राप्त करते थे और कई बार उन नरबलि
00:09:10 हों को देने के लिए किसी शस्त्र का प्रयोग नहीं किया जाता था नर बलियां दी कैसे जाती थी उन चारों वेदियो के ऊपर हवन कुंड की स्थापना की जाती थी और अपने पहले बच्चे को असुर साम्राज्य का राजा उस आर्द्रम लक्ष के नाम से या अनाम लक्ष के नाम से उसी जलती हुई हवन कुंड में डाल देता था मतलब असुर साम्राज्य के राजा का जो पहला बच्चा होगा उस पहले बच्चे पर अधिकार अनाम लक्ष का होगा और उसको देने के लिए उस बच्चे को हवन कुंड में डाला जाएगा आप इस घटना से एक और बात सीख सकते हैं पांचाल देश के राजा सोमक ने अपने पुत्र जंतु को भी इसी प्रकार
00:09:48 से हवन कुंड में डाल दिया था यह राजा द्रुपद के पूर्वज हुआ करते थे और इसके परिणाम स्वरूप उनको नरक भी जाना पड़ा था ये राजा द्रुपद के तीन चार पीढ़ी पहले की बात है द्रौपदी जी द्रुपद की पुत्री थी उनके तीन चार पीढ़ी पहले की बात है जब राजा सोमक ने बहुत पुत्रों की कामना से अपने इकलौते पुत्र जंतु को हवन कुंड में काट काट कर होम कर दिया था यद्यपि उनको आगे बहुत से पुत्रों की प्राप्ति हुई लेकिन इस कर्म के कारण उस यज्ञ को कराने वाले पुरोहित और राजा दोनों नरक गए थे यहां पर भी कुछ ऐसी बातें देखने को मिली जहां पर आसुरी तत्व के उपासक ये असुर
00:10:25 साम्राज्य के राजा गण अपने पहले बच्चे को स्तर की मूर्ति के चार और बने हुए चार हवन कुंडों में किसी भी एक हवन कुंड में हवन कुंड तो चार होते थे उसमें वह बलिदान करने के लिए जलती हुई अग्नि में झोक देते थे और आर्द मक्ष और अनामल को तृप्त करते थे तो वस्तुतः जो 15 पार्षद हैं वह इसको कंसल मानते हैं जो कौंसिल का शासक है काउंसलर कौन है आर्द मले और चांसलर कौन है इस तानी परिषद का जो चांसलर है जो कुलपति है जो अध्यक्ष है वह अनाम लक्ष अनाम लक्ष सामान्यतया किसी विशेष शरीर में बाहर नहीं घूमता है व आर्द मक्ष के अंदर ही एक शक्ति
00:11:10 के रूप में बैठा रहता है एक प्रकार से उसने पोसेस कर रखा है आर्द मक्ष को आर्ले वस्तुतः प्रारंभ में बुरा नहीं था वो एक अच्छा व्यक्ति था इसके व्यक्तित्व की तुलना आप कर सकते हैं मार्वेल कॉमिक्स के गौर से जिसकी बेटी बीमार थी और गौर ने क्या किया देवताओं से प्रार्थना की कि आप मेरी मरती हुई बेटी को ब ले और उस समय देवताओं ने उसका तिरस्कार किया तो [संगीत] नेक्रोलॉजी लैंड का है जिस पर आगे इस श्रृंखला में हम कभी चर्चा करेंगे कि कैसे लक्षराज के माध्यम से डिजनीलैंड को आगे बढ़ाया गया है और वहां कैसे-कैसे शैतानी कृत्य होते हैं
00:12:03 इस पर हम आगे सब प्रमाण चर्चा समय अनुसार इसी श्रृंखला में करेंगे तो इसी प्रकार से आर्द्रम लक्ष वस्तुतः एक अनाथ था किंतु उसके भाग्य ऐसे प्रबल थे कि वहां के नक्षत्र विशारद ज्योतिषियों ने कहा कि इसमें राजा बनने का योग है इसीलिए आर्द्रम लक्ष को जब कौंसिल ऑफ सैटन ने गोद लिया उन 15 लोगों ने उससे अपना नेता चुना क्योंकि वो लोग कुछ कर नहीं पा रहे थे एक नायक के अभाव में तो आर्द मिले के शरीर में उष की शैतानी शक्ति ने हावी होना प्रारंभ किया और उसको एक विद्रोही से बना दिया एक अत्याचारी अत्याचार के विरोध में जिसने अपना खड़ग
00:12:41 उठाया था वह बन गया विश्व का सबसे बड़ा अत्याचारी अनाम लक्ष की शक्तियां तब अधिक विकसित होती हैं जब आकाश में चंद्रमा अपनी पूर्णता को होते हैं अनाम अलक्ष चंद्रमा की कलाओं के आधार पर अपनी शक्तियों को घटाता और बढ़ाता है यद्यपि अमावस्या को आसुरी शक्तियां अधिक प्रबल होती हैं किंतु अनाम वृक्ष की ऊर्जा चंद्रमा की कलाओं के आधार पर घटती बढ़ती है यह इसकी विशिष्टता है इसीलिए सामान्यतया पूर्णिमा की रात्रि को अनाम वृक्ष की शक्तियां सर्वाधिक उत्कर्ष को प्राप्त होती हैं जो कि आज भी अलग-अलग शैतान के उपास कों के द्वारा आराध हो रहे
00:13:19 हैं और संयोग से जब यह वीडियो रिकॉर्ड किया जा रहा है तो आज भी जो रात है वह पूर्णिमा की है हम बात कर रहे थे अनाम लक्ष और आर्द मक्ष की वस्तुतः जो लक्ष राज के अंदर शक्ति है भावना है प्रवृत्ति है उसका स्रोत जो अनाम लक्ष है वही अलग-अलग स्वरूपों में अलग-अलग सभ्यताओं में विभिन्न नामों से पूजा जाता रहा है कुछ उसको लुसिफर कह देते हैं कुछ उसको बमेटनाइड होता है रणनीति और योजना का आपको अगर इतिहास के पन्नों की ओर ले चले एक घटना घटित हुई थी द्वितीय विश्व युद्ध में जब हिटलर ने हॉलैंड पर कब्जा करने की योजना बनाई अब हॉलैंड एक ऐसा स्थान है जिसका शहर
00:14:14 जिसका जो नागरिक समाज है वह जहां बसा है वह समुद्र तल से नीचे है मतलब समुद्र के पानी के द्वारा हॉलैंड की गांव शहर इत्यादि डूब जाए इसकी संभावना सदैव बनी रहती है इसीलिए दीवारों का आश्रय बड़े-बड़े किरे बंदी का आश्रय लेकर हॉलैंड के अंदर समुद्र के पानी को घुसने से रोका जाता है हॉलैंड की अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बड़ा बोझ हॉलैंड की दीवारों का निर्माण और उनकी मरमत करना हो जाता है हॉलैंड के पास ना उतनी तगड़ी सेना थी ना उतने अधिक पैसे थे ना अधिक संसाधन थे हिटलर ने सोचा कि हम हॉलैंड पर अतिशीघ्र कब्जा कर लेंगे हिटलर ने आक्रमण कर दिया
00:14:55 हॉलैंड ने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया उसने यह फैसला दिया कि जिस भी गांव में या जिस भी सभ्यता की ओर हिटलर की सेना बढ़ेगी उस गांव से संबंधित समुद्री दीवार को तोड़ दिया जाएगा हुआ यही और समुद्र की आपदा से जो दीवारें हॉलैंड के गांव की रक्षा करती थी वही दीवारें जब तोड़ दी गई हॉलैंड के अंदर समुद्र का पानी घुसने लगा और जर्मनी सेना डूबने लगी पराजित हो गई कहने का तात्पर्य है कि कई बार जो आपकी रक्षा करता है जिससे आपकी होती है उसको नष्ट करके अपने शत्रु को अपने अंदर आमंत्रित करने से आप बच सकते हैं जो समुद्र का पानी कभी मारता था और
00:15:37 दीवारें बचाती थी आज उल्टा हो गया दीवारों को रक्षक नहीं अवरोधक माना गया रक्षक को हटा दिया गया जो कल मार रहा था उसको अंदर आने दिया गया और उसी ने अंतत आपकी जान बचाई इस रणनीति को समझिए र साम्राज्य के अत्याचारों से बचने के लिए सुमेर की जनता ने र साम्राज्य के विरुद्ध आर्द मक्ष के नेतृत्व में विद्रोह किया था लेकिन अंततः जो उर साम्राज्य अत्याचार रूप में प्रसिद्ध था लोगों ने उसको याद करना आरंभ किया जब उन्होंने देखा कि हमारा विद्रोही नायक हमारे पिछले राजा से कहीं अधिक महत्वाकांक्षी कहीं अधिक क्रूर और कहीं
00:16:13 अधिक सनकी है आर्त लक्ष के शासन में सुमेर मेसोपोटामिया इत्यादि की सभ्यताओं ने बहुत विकास किया भौतिकता की दृष्टि से सैन्य शक्ति की दृष्टि से विलासिता की दृष्टि से शैतानी ताकतों ने उस पूरे क्षेत्र में अपनी कृपा बरसाने आरंभ की जो भी राजा का वफादार होता था जो भी असुरों का उपासक होता था जो भी इस प्रकार से नकारात्मकता को स्वीकार कर लेता था उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा उसका यश उसका पराक्रम बहुत बढ़ने लग जाता था देखा देख देखी लोगों ने इसको अपनाना प्रारंभ किया और एक छोटा सा शहर बन गया एक विशाल साम्राज्य अब हम सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे आज हम
00:16:53 प्रधानता से लक्ष राज के अनुयायियों के लिए जो छह अनुशासन है 60 में से छ शासन की आज हम चर्चा करेंगे पहला अनुशासन यह कहता है तुम्हारे हृदय में सदैव एक ज्योति जल रही है जब भी कोई निर्णय करना हो उस ज्योति का अनुसरण करना यह पहला नियम कहता है वह ज्योति शैतानी है अ फ्लेम ऑफ इविल आपको अगर लॉर्ड ऑफ रिंग्स की घटना याद होंगी वहां एक आंख थी सरन की आंख जो दहकती रहती थी वो आग है लेकिन वो आग नरक की आग है वो ज्योति जो तुम्हारे हृदय में जल रही है अगर तुम उसे स्वीकार करते हो तो ये अध्यात्मिक ज्योति नहीं है ये आत्मा की
00:17:38 स्वयं प्रकाश ज्योति नहीं है ये अनाम मक्ष की ज्योति है इसीलिए मक्ष राज के सभी अनुयायियों को अपने हृदय में उस ज्योति के स्थापना करनी होती है जो आंतरिक रूप से उनका मार्गदर्शन करती है उनके हृदय में वैसी प्रेरणा एं डालती हैं उनके हृदय में वैसी भावनाएं डालती हैं कि बिना किसी संपर्क के केवल मानसिक परिचय और मानसिक संकेत और तरंगों के माध्यम से अपने गुलामों को अनुशासित किया जा सके उनको नियंत्रित किया जा सके तो मक्ष राज के अनुयाई सबसे पहले यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि हमारे हृदय में अनाम मक्ष की ज्योति सदैव जलती रहे अनाम मक्ष लक्ष राज के
00:18:12 अनुसार दूसरा नियम बनवाया वह यह है कि जो तुमसे प्यार करे उससे तुम भी प्यार करो अब यह सब ऐसे नियम है जिनको सुनने पर लगता है कि एक आदर्श समाज की परिकल्पना की जा रही है और इन नियमों को ऐसी शब्दावली में ऐसी परिभाषा में आगे व्यक्त किया गया लोगों की बड़ी आकर्षक लगती है लोगों को लगता है यह तो बिल्कुल सच्चा मार्ग है इसमें क्या बुराई है इसमें क्या शैतानिया है इसमें क्या नकारात्मकता है सबसे बड़ी नकारात्मकता वही है जिसको आप ना पहचान सके जो आपको अच्छाई का वेष बनाकर ठगे अनाम लक्ष ने मृगराज को कहा कि तुम दूसरा नियम यह
00:18:51 बनाओ कि जो तुमसे प्यार करे उससे तुम भी प्यार करो अब इसमें एक समस्या यह होती है कि भाई कोई हमसे प्रेम कर तो उसे घृणा कैसे कर सकते हैं लेकिन ऐसी बात नहीं है उसके प्रेम के पीछे क्या उद्देश्य हो सकता है आप यह बात ध्यान में रखें कि रावण ने जब भगवती सीता का हरण किया था तो बारंबार कहता था कि हे सुंदरी हम तुमसे प्रेम करते हैं तुम उस वनवासी राम के पीछे क्यों पड़ी हुई हो चलो हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करो हम तो मंदोदरी से भी ऊपर तुम्हारा आसन रखेंगे हमारे हृदय में जो प्रेम है तुम्हारे लिए उसको एक बार स्वीकार कर लो
00:19:21 आप ध्यान दें आज समाज में जितना व्यभिचार फैल रहा है जितना लव जिहाद फैल रहा है जितने तरह के बलात्कार हो रहे हैं उनके पी पीछे कहीं ना कहीं सिनेमेट भावना यह है कि जो तुमसे प्यार करे उससे तुम प्यार करो प्यार किया तो डरना क्या हम है राही प्यार [संगीत] के तो ये जो है जो तुमसे प्यार करे उससे तुम प्यार करो इसमें प्यार अंततः जाकर व्यभिचार बन जाता है एक आदर्श परिकल्पना कि दया सर्वेश भूतेषु सभी प्राणियों में दया करो समस्त प्राणियों से मैत्री करो मित्र समाच समक्षा महे तो ये जो आर्ष भावना हमारी थी उसी का स्रोत लेकर उसी को
00:20:01 आसुरी परिवेश में लपेटकर लक्षराज ने दूसरा नियम बताया कि जो तुमसे प्यार करे उससे तुम भी प्यार करो मक्ष राज ने एक तीसरा नियम बनाया कि अगर कोई तुम्हारा विरोध करता है अगर कोई तुमसे घृणा करता है अगर कोई तुमसे नफरत करता है तो तुम उसके प्रति कोई शत्रुता का भाव मत रखो इससे क्या होता है मक्ष राज के जो अनुयाई हैं वह अपने चरित्र को समाज में इतने आदर्श और सहनशील के रूप में स्थापित करने में सफल हो जाते हैं कि आपको लगता है कि अरे मैंने इसको गाली दी लेकिन ये सहन कर गया ये तो बहुत संत व्यक्ति है अरे मैंने इसको फटकारा
00:20:32 इसको धिक्कारी नहीं दी अवश्य यह कोई बहुत सहनशील व्यक्ति है आप ध्यान दें एक तनु जो कपटी मुनि था राजा प्रताप भानु के समान ऐसे ही काम क्रोध विजय बनकर बैठा रहता था राजा प्रताप भानु को लगा कि इनसे बड़ा सिद्ध इनसे बड़ा जितेंद्रिय तो कोई दूसरा नहीं है कालने भी हनुमान जी के सामने जब राम राम का भजन किया तो हनुमान जी को भी एक क्षण को ऐसा लगा कि ये कोई बहुत सहनशील कोई जितेंद्रीय संत है तो जो बातें समाज में आदर्श के रूप में स्थापित हैं उन्हीं बातों से प्रेरणा लेते हुए लक्षराज ने ऐसे नियम बनाए जो बाहर से देखने से बड़े आदर्श
00:21:10 बड़े दिव्य बड़े धार्मिक लगते हैं बड़े सभ्य और शिष्टाचार से युक्त लगते हैं लेकिन उनके अंदर की भावनाएं बड़ी विकृत होती हैं इसलिए मक्ष राज के जो अनुयाई हैं वो समाज में ऐसी छवि बनाकर चलते हैं कि लोग यह समझे कि वे बड़े सहनशील हैं बड़े गंभीर हैं बड़े विवेकी हैं बड़े प्रबुद्ध हैं बड़े क्षमाशील हैं बड़े सुलझे हुए व्यक्तित्व के धनी हैं लक्ष राज के अनुयायियों के लिए चौथी अनिवार्यता यह है कि वह अपने मस्तिष्क को कभी खाली नहीं रख सकते मतलब उनको सदैव कोई ना कोई योजना बनाती रहनी पड़ेगी योजनाएं जब तक दिमाग में चलेंगी तब तक लक्षराज को उतनी योजनाएं
00:21:46 पता चलती रहेंगी लक्षराज अकेला व्यक्ति है और एक अकेला व्यक्ति हर प्रकार का चिंतन एक साथ नहीं कर सकता लेकिन अगर उसको 10 लोग सलाह दे रहे हैं 50 लोग परामर्श दे रहे हैं 100 लोग परामर्श दे रहे हैं तो 500 लोगों के विचारों के कारण एक साथ 500 विचारों से यु जुड़ सकता है इसीलिए पहले नियम के अनुसार जो ज्योति हृदय में स्थापित है उसी ज्योति के माध्यम से वोह तुम पर नजर रखे हुए हैं वो शैतानी ज्योति जो हृदय में तुमने संकल्प से स्थापित की है उसकी गुलामी स्वीकार करके तुम अपने मन में जब योजनाएं बनाते हो उन्हीं योजनाओं
00:22:21 को व सुनता है वो समझता है एक साथ उनको ग्रहण करता है जैसे इंद्रिय विषयों को ग्रहण करती है वैसे तुम्हारे हृदय की उस भावना को समझ समझ लेता है पकड़ लेता है अगर तुमने एक बार अपना जीवन उसको सौंप दिया तो मानसिक रूप से तुम उस से बंध गए फिर तुम जो जो योजना बनाओगे वो सारी बातें उसको पता चलती रहेंगी अगर उसके विरुद्ध कुछ योजना बना रहे हो तो वह भी और अगर उसके अभियान के लिए कुछ योजना बना रहे हो तो वह भी इसलिए मक्ष राज के अनुयायियों के लिए चौथी अनिवार्यता इस बात की होती है कि वो सदैव अपने मस्तिष्क में किसी ना किसी
00:22:50 प्रकार की योजना बनाते रहे ताकि लक्षराज को उनकी मानसिक स्थिति का सदैव अपडेट मिलता रहे सदैव अतीत सूचना मिलती रहे कि मेरा यह सेवक मेरे विरुद्ध जा रहा है मेरे अनुकूल जा रहा है या इसमें किस प्रकार की शैतानी रचनात्मकता हो सकती है मक्ष राज के अनुयायियों के लिए पांचवी अनिवार्यता है वचनबद्धता अगर वृक्ष राज का एक अनुयायी किसी दूसरे के प्रति कोई वचन दे देता है तो चाहे भौतिक रूप से उसको क्षति हो चाहे उसकी इज्जत रहे ना रहे चाहे उसका पैसा रहे ना रहे चाहे उसका परिवार रहे ना रहे चाहे उसके शरीर के अंग भी काट कर अलग कर दिए
00:23:22 जाए किंतु वह वचन नहीं तोड़ सकता है वचनबद्धता पांचवा नियम है लक्षराज के अनुयाई अपने वचन को कभी भंग नहीं कर स शक्ति सत्य प्रतिज्ञ होना सनातन धर्म में बहुत श्रेष्ठ बात मानी गई है राजा दशरथ महाराज हरिश्चंद्र शिवी इत्यादि राजाओं का बहुत उत्तम चरित्र है सत निष्ठा के लिए लेकिन इसी अच्छाई को शैतानी परिवेश में परोस हुए लक्षराज ने कहा कि बी अ मैन और वमन ऑफ वर्ड्स तुम अपने मुख से निकले प्रत्येक शब्द को सत्य करने के लिए चरितार्थ करने के लिए बिना किसी विकृति के उस पर निष्ठा बनाए रखने के लिए बाध्य हो तुम किसी भी परिस्थिति में हमारे प्रति
00:23:59 किए गए समझौते को नहीं तोड़ सकते हो अगर समझौता टूटेगा तो वह शरीर भी नष्ट किया जाएगा जिस शरीर के साथ इस समझौते को लिखा गया था बांधा गया था यू कांट मेक अ पैक्ट विथ डेमन एंड यू कांट डिनायल इट आप अगर शैतान के साथ कोई समझौता करते हैं वो समझौता उस शरीर के साथ ही खत्म होता है जिस शरीर के साथ आपने समझौता बनाया था और अगर आपने यह समझौता अपनी चेतना से जोड़कर बनाया है तब फिर आपकी पारलौकिक गति भी बाधित होगी शरीर नष्ट होने के साथ-साथ वो समझौता नष्ट नहीं होगा फिर अगर शारीरिक केवल आपने बनाया है समझौता तब शरीर नष्ट
00:24:34 होगा अगर समझौता टूटा तो आप मरेंगे लेकिन अगर आपने अपनी चेतना उसको बेच दी है तो आपको इतना कुछ धन दौलत दे देगा इतने बड़े स्तर पर पहुंचा देगा वह कि आपको लगेगा कि विश्व मेरी अंगुलियों पर नाच रहा है लेकिन फिर वह आपकी चेतना को अपना वश वशीभूत करके जिस प्रकार से प्रेत सिद्धि इत्यादि करके रख लेते हैं वैसे ही आपकी ऊर्जा को वह अपना आहार बनाकर आपसे अपनी गुलामी अंत स्थित भाव से भी कराएगा आपकी पारलौकिक गति में व्यवधान उत्पन्न करेगा जैसे प्रेत की उपासना करने वाले लोग अंत में प्रेत गति को प्राप्त होते हैं वैसे शैतान के साथ
00:25:05 समझौता करने वाले लोग भी शैतान के ही गुलाम बन जाते हैं मलेश राज का बनाया हुआ छठा नियम पांचवे नियम से जुड़ा हुआ है पांचवा नियम यह कहता है कि आप कभी भी अपने वचन को नहीं तोड़ सकते लेकिन छठा नियम यह कहता है यदि बात आती है अपने हाउस को बचाने की हाउस मतलब आपका घर नहीं हाउस मतलब हाउस ऑफ कांसिल जहां पर आपकी शैतानी परिषद बैठी है अगर उसके की बात आती है तो आप अपने वचन को तोड़ेंगे आप वहां पर कंप्रोमाइज करेंगे आप वहां पर स्वयं को एक व्यक्ति मानकर नहीं चल सकते कि मैं एक व्यक्ति हूं मैंने वचन दिया अगर संस्था को बचाने की बात आएगी तो
00:25:39 आपको अपने वचन को अगर तोड़ना पड़ेगा संस्था अगर वचन तोड़ने से बचेगी तो वहां पर आप अपने वचन को तोड़ेंगे कुल मिलाकर बात यह है कि शैतानी परिषद का जो 15 लोग हैं और सवा जो उनका नेतृत्व करता है आर्त उले जिसके अंदर घुसा है सवा तत्व अनाम मुले इसीलिए कहते हैं द कांसिल ऑफ़ 17 रूल बाय टू यह भी शब्द बहुत अ स्थानों पर अ जो इस विषय में शोध करते हैं उनको मिलता है कांसिल ऑफ़ 17 रूल बाय टू 17 लोगों का यह परिषद है जिसमें दो व्यक्ति शासन करते हैं दिखते 16 हैं क्योंकि अनाम लक्ष और आर्द्रम लक्ष तो एक ही शरीर में रहते हैं
00:26:17 लेकिन हैं वो दो तो काउंसिल ऑफ़ 17 रूल बाय टू तो इस काउंसिल को ही हाउस कहा गया है यही इनका घर है आपका घर कहीं बाहर नहीं जो शैतान के गुलाम हैं वृक्ष राज के सेवक हैं वो इसी कांसिल के वफादार हैं इसी घर के परिवार के सदस्य हैं तो अगर वचन को पूरा करने से परिवार बचता है तो वचन पूरा किया जाएगा तब आप वचन तोड़ नहीं सकते और अगर वचन को तोड़ने से परिवार बचेगा तो आप वहां पर यह नहीं कह सकते कि हमने वचन दे दिया तो अब हम निभाएंगे मेरी प्रतिष्ठा की बात है बिल्कुल नहीं आप कंप्रोमाइज करेंगे यह पांचवें नियम का एक अपवाद छठे नियम के
00:26:50 रूप में बताया जाता है आज हमने चर्चा की लक्षराज को शक्ति कहां से मिलती है मक्ष राज का जन्म कहां हुआ था मक्ष राज के अंदर कौन सी शक्ति काम करती है लक्षराज बना कैसे एक असफल साधक जो अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण ना कर सका और देवताओं से वैर कर लिया अपने साथ 15 शैतानी उपास कों को लेकर अपनी ऊर्जा से एक नए शैतानी ऊर्जा को जिसने निर्मित किया और फिर उसी के वशीभूत हो गया उसी के सम्मोहन में आ गया अनाम लक्ष के द्वारा नियंत्रित किया जा रहा आर्द्र लक्ष ही हमारे द्वारा यहां लक्ष राज शब्द से बताया जा रहा है जिसके विषय में इस संसार की बहुत कम
00:27:27 शक्तियां जानती हैं और अधिकांश शक्तियां जानकर भी मौन रहती है यह वीडियो जल्द ही हटा दिया जा सकता है कृपया थर्ड पार्टी एप्स का उपयोग करके डाउनलोड करें आप इस वीडियो को अपने चैनल पर फिर से अपलोड भी कर सकते हैं दिस वीडियो मे गेट डिलीटेड सून प्लीज डाउनलोड यूजिंग थर्ड पार्टी एप्स यू मे आल्सो रि अपलोड दिस वीडियो ऑन योर चैनल्स थैंक यू [संगीत]